Mann ki udaan
ज़िन्दगी क्या है , रिश्तों का मेला।
खुशियों का खेला या दुखो का रेला।
शब्दों के भंवर में , जीवन को बांधना है मुश्किल।
रिश्तों के जाल से , जीवन को निकालना है मुश्किल।
कौन है सच्चा ,कौन है झूठा, कौन है अपना , कौन पराया।
ये पहचानना है मुश्किल।
इस ढलते - डगमगाते ,जीवन को संभालना है मुश्किल।
किसी जीवन में खुशियां आएँगी कैसे ,
ये पहचानना है मुश्किल।
कहते है सब मन में छिपी होती है खुशियाँ।
जाने किस कोने में छिपी होती है खुशियां।
पंख होते है शायद ख़ुशियो के भी,
ढूढो कितना भी पर नज़र न आती हैं खुशियाँ।
ज़िन्दगी क्या है , रिश्तों का मेला।
खुशियों का खेला या दुखो का रेला।
शब्दों के भंवर में , जीवन को बांधना है मुश्किल।
रिश्तों के जाल से , जीवन को निकालना है मुश्किल।
कौन है सच्चा ,कौन है झूठा, कौन है अपना , कौन पराया।
ये पहचानना है मुश्किल।
इस ढलते - डगमगाते ,जीवन को संभालना है मुश्किल।
किसी जीवन में खुशियां आएँगी कैसे ,
ये पहचानना है मुश्किल।
कहते है सब मन में छिपी होती है खुशियाँ।
जाने किस कोने में छिपी होती है खुशियां।
पंख होते है शायद ख़ुशियो के भी,
ढूढो कितना भी पर नज़र न आती हैं खुशियाँ।
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