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Thursday, 26 October 2017

jindgi and riste

Mann ki udaan




ज़िन्दगी क्या है , रिश्तों का मेला।
    खुशियों का खेला या दुखो का रेला।
शब्दों के भंवर में , जीवन को बांधना है मुश्किल।
    रिश्तों के जाल से , जीवन को निकालना है मुश्किल।
कौन है सच्चा ,कौन है झूठा, कौन है अपना , कौन पराया।
    ये पहचानना है मुश्किल।
इस ढलते - डगमगाते ,जीवन को संभालना है मुश्किल।
    किसी जीवन में खुशियां आएँगी कैसे ,
ये पहचानना है मुश्किल।
कहते है सब मन में छिपी होती है खुशियाँ।
    जाने किस कोने में छिपी होती है खुशियां।
पंख होते है शायद ख़ुशियो के भी,
  ढूढो कितना भी पर नज़र न आती हैं  खुशियाँ।  

Saturday, 13 May 2017

jeevan

Mann ki udaan


जीवन 
जीवन है यादों का ढेर ,
     जैसे पेड़ों पर कच्चे - पक्के बेर ,
कुछ सूखे पत्तों का ढेर ,
      कुछ हरे पत्तों की बेल। 
जीवन - - - - - ढेर। . 
बातों से किस्से बनते ,
       किस्सों से लम्हे ,
बनते हैं लम्हों से यादें ,
     यादों के गुच्छों में लिपटी ,
कुछ खट्टी - मीठी बातें ,
     कुछ सच्चे - झूठे किस्से ,
किस्सों से लिपटी ये बेल। 
जीवन है यादों का ढेर - - - - - 

pal

Mann ki udaan


     पल 
कहता है इक पल ,
      हूँ बड़ा छोटा मैं ,
पलक झपकते हि ,
      गुजर जाता हूँ मैं ,
कमजोर न समझना मुझे,
     सब कुछ बदल सकता हूँ मैं ,
कहता है- - -                     हूँ बड़ा छोटा मैं। 
जियो हर इक पल को ,
        जी भर के इस तरह से ,
जैसे कि बस यही ,
       आखिरी पल है तुम्हारा ,
अगर लेता हूँ सब कुछ,
       तो  दे भी देता हूँ मैं,
इक पल है गम भरा ,
       तो दूजे पल में खुशियाँ,
 भी भर देता हूँ मैं ,
कहता है - - -                 हूँ बड़ा छोटा मैं।